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गर्भ में

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कविता में प्रयोगों की लाक्षणिकता के गहरे अर्थ खोजने हों, तो कुमार लव की कविताएँ पढ़नी चाहिए| अब तक पाँच-सौ से भी अधिक कविताएँ रचने वाले हिंदी के इस युवा रचनाकार के सरोकार वर्त्तमान की अत्यधिक भयावह और उससे भी अधिक जटिल परिस्थितियों से संबंध रखते हैं| विज्ञान, इतिहास, सौंदर्यशास्त्र, मिथकीय दुनिया, अदृश्य मनोमंथन और किशोर रोमानियत के अंतर्द्वंद्व के मिश्रण से कुमार लव अपनी कविता का कच्चा माल तैयार करते हैं| विचार से विचारहीनता की ओर तेज़ी से बढती दुनिया तथा संस्कृति से पाठ तक का मृत्योत्सव मनाने को हर पल तैयार आदमी के भीतर भी अपने खोते जाने की आशंका भर से जो दर्द का राक्षस चीखता-चिल्लाता रहता है, उसे पहचानने की बेचैनी इस कवि के रचना-संसार में अनुभव की जा सकती है| -- देवराज अधिष्ठाता:अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय

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